सरला के जाने को अब दो साल बीत चुके थे ।लेकिन उनके बिना पायल का हर दिन अधूरा सा ...
।चंदन शर्त लगाने का भूखा नहीं था, शर्त जीतकर लोगों की आँखों में चमक देखना उसे अच्छा लगता था।हो ...
सरला अब ठीक हो चुकी थीं, लेकिन बीमारी ने उनके शरीर को पहले जैसा नहीं रहने दिया था। कभी ...
धूप ढल चुकी थी। शहर की भीड़ में हर कोई अपनी मंज़िल की तरफ़ भाग रहा था, पर आरव ...
छोटे से कस्बे की गलियों में एक टूटा-फूटा सा मकान था, जहां एक मां-बेटी रहती थीं। मां का नाम ...
शहर की भागती - दौड़ती ज़िंदगी में, आरव और नेहा की मुलाकात एक ट्रेन के सफर में हुई थी। ...
एक छोटे से गाँव का लड़का था। घर की हालत बहुत साधारण थी। पिता खेती-बाड़ी करते थे, जिनकी आय ...
अरजुन की सुबहें हमेशा एक ही रूटीन पर चलती थीं — पाँच बजे की हिम्मत, चाय की गंध और ...
गाँव के लोग कहते थे – “उस हवेली में मत जाना। जो गया, वह लौटा नहीं।”गाँव के बाहर काली ...